COMPUTERS
कम्प्यूटर बहु-उपयोगी मशीन होने के कारण आज तक भी इसको एक परिभाषा में नही बाँध पाँए है. इसी कड़ी में कम्प्यूटर का पूरा नाम भी चर्चित रहता है. जिसकी अलग लोगों और संस्थाओं ने अपने अनुभव के आधार पर भिन्न-भिन्न व्याख्या की है. लेकिन, इनमे से कोई भी Standard Full Form नही है. मैंने आपके लिए एक कम्प्यूटर की फुल फॉर्म नीचे बताई है. जो काफी लोकप्रिय और अर्थपूर्ण है।
C – Commonly
O – Operating
M – Machine
P – Particularly
U – Used in
T – Technology
E – Education and
R – Research
कम्प्यूटर की संरचना
एक पूरे कम्प्यूटर तन्त्र (Computer System) को दो भागों में विभक्त किया जा सकता है :
हार्डवेयर (Hardware)
सॉफ्टवेयर (Software)
HARDWARE
वे सभी भाग जिसका भौतिक अस्तित्व संभव है अर्थात् जिसे देखा या छुआ जा सकता है उसे हार्डवेयर कहा जाता है। जैसे की-बोर्ड, मॉनीटर, जबकि सभी तरह के निर्देशों के समूह को सॉफ्टवेयर कहा जाता है।
SOFTWARE
तार्किक रूप से क्रमबद्ध किये गये प्रोग्रामों के समूह को सॉफ्टवेयर कहते हैं तथा नार्किक निर्देशों के समूह को प्रोग्राम कहते हैं। दोनों एक दूसरे से पूर्ण रूप से संबंधित रहते है - एक के बिना दूसरे का अस्तित्व नहीं के बराबर है। दोनों भागों का संयोग ही एक पूर्ण कम्प्यूटर तन्त्र बन सकता है।
कंप्यूटर का इतिहास
PASCAL'S ADDING MACHINE
ब्लेस पासकल (BLAISE PASCAL) ने सन् 1642 ई. में सर्वप्रथम यंत्र से जोड़ने वाली मशीन का अविष्कार किया । उसने इस मशीन का अविष्कार अपने पिता की मदद करने के लिये किया उनके पिता फ्रांस में एक करअधिकारी के रूप में काम करते थे । इसी तरह दूसरे मशीन की विकास की प्रक्रिया भी शुरू हो गई और दूसरा मशीन का निर्माण सन् 1684 में गॉटफ्रेंड लेबनीज (GOTTFRIE LEIBANIZ) ने किया। यह मशीन एक वास्तिवक कैलकुलेटर (Calcula tor) सिद्ध हुआ क्योंकि इसके जरिये जोड़ एवं घटाव के अलावा गुणा एवं भाग करना भी संभव हो गया अर्थात् बड़ी-बड़ी गणनाओं को हल करना कुछ सरल हो गया ।
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JACQUARD'S LOOM
जोसेफ जैक्वार्ड 19 वीं शताब्दी क्षणों में ही वास्तविक विकास की दिशा में एक कार्य करना शुरू कर दिया था । जैक्वार्ड कोई वैज्ञानिक नहीं था बल्कि एक कपड़ा (वस्त्र) बनाने वाला कारीगर था । उसने 1804 ई. में ऑटोमेटेड लूम (Au tomated Loom) का अविष्कार किया। उसने पंच कार्ड का इस्तेमाल अपने स्वचलित वस्त्र बनाने वाली मशीन में किया, जिससे कि वह जटिल डिजाइन को भी नमूने में ढाल कर कपड़ों में उतार सके। उसने इसमें काफी सफलता भी पाई। इस मशीन का कार्य पंच कार्ड में उपस्थित छिद्र पर निर्भर करता था। इस तरह जोसेफ जैक्वार्ड ने Modem Stosma संकेतीय तन्त्र (Binary Coding System) के विकास के लिए एक सुनहरा अवसर प्रदान किया ।
CHARLES BABBAGE
कम्प्यूटर के इतिहास में चार्ल्स बैबेज का नाम सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है इन्हें आज के आधुनिक डिजिटल कम्प्यूटर का पिता (FATHER OF MODERN DIGITAL COMPUTER) कहा जाता है उन्होंने सन् 1822 ई. में डिफरेंस इंजन (Difference Engine ) का निर्माण किया। उनके द्वारा निर्मित ऐनालिटिकल इंजन (Analytical Engine) कम्प्यूटर युग के शुरूवात के लिये एक नींव का पत्थर साबित हुआ। इस मशीन में लगभग 50,000 हिलने-डुलने वाले भाग लगे हुए थे जो कि यांत्रिक गीयर (Gear) द्वारा कार्य करते थे। यह दोनों प्रकार के कार्य करने में सक्षम था अंकगणितीय गणना तथा आंकड़े को सुरक्षित रखने ( Arithmetic Calcuation & Data Storage )
HOLLERITH MACHINE
सन् 1885 ई. में हरमन हॉलरिथ ( HERMAN HOLLERITH ) जो कि संयुक्त राज्य अमेरिका के जन-गणना विभाग में काम करता था, ने सन् 1885 ई. में बिजली से चलने वाली मशीन का निर्माण किया जो सभी तरह की गणनाएं कर सकता था तथा उसे स्थायी रूप से सुरक्षित रख सकता था। यह मशीन संख्याओं के साथ-साथ अक्षरों को भी समझ सकता था, उसे विभिन्न प्रक्रियाओं के द्वारा इच्छानुसार प्रस्तुत भी कर सकता था। इनपुट (Input) यह पंचकार्ड के जरिये इनपुट (Input) करता था और उनके छिद्रों का मेल ही उस इनपुट डाटा का संकेत (Code) तैयार करता था। उसने एक मशीन का अविष्कार किया जो कार्ड में छिद्र करने में सक्षम था - इसे टैबुलेटर (Tabulator) कहा गया। यह मशीन कार्ड का प्रोसेसिंग (Processing) भी कर सकता था । इस मशीन ने 1890 के U.S. जनगणना में 600 लाख व्यक्तियों की सूचनाओं को सही रूप में हल किया। 1896 ई. में हॉलिरिथ ने अपनी खुद की एक कम्पनी की स्थापना की जिसका नाम टैबुलेटिंग मशीन कम्पनी (Tabulating Machine Company TMC) रखा । यही कम्पनी आज IBM (INTERNATIONAL BUSINESS MACHINE ) Corporation के नाम से विश्व विख्यात है । इस तरह हम पाते हैं कि कम्प्यूटर में नई खोज वर्षों से होती आ रही है और कुछ समय के अंतराल के बाद नये-नये तरह के कम्प्यूटर का निर्माण होता जा रहा है। अत इस प्रक्रिया को हम कम्प्यूटर पीढ़ी के रूप में देखते हैं ।
कंप्यूटर की विशेषताएँ
SPEED
कम्प्युटर की पहली विशेषता इसकी गति है। यह सभी तरह के कार्यों को कुछ समय में हल कर देता है। इसकी गति में कभी भी कमी नहीं आती। यह लगातार सभी कार्यों को उसी तीव्र गति से सम्पन्न कर देता है। काम की बोझ से इसकी गति कम नहीं होती ।
ACCURACY
शुद्धता का यह अर्थ होता है कि परिणाम में शुद्धता किए कम्प्यूटर अपने सभी कार्यों - क्रियाकलापों (Data) को सही रूप से सम्पन्न करता है जिसकी वजह से उसके द्वारा प्रस्तुत किए गए परिणाम की शुद्धता शत-प्रतिशत सही रहती है और यह अपनी विशिष्टता को हर वक्त बनाए रखता है। कम्प्यूटर कभी भी गलत परिणाम या सूचना नहीं देता है ।
STORAGE
कम्प्यूटर की एक अन्य विशेषता इसके संचय करने की क्षमता है। यह अत्यधिक आंकड़ों को जमा रख सकता है । इसे इसकी मानसिक क्षमता भी कहा जा सकता है। कम्प्यूटर में संचय करने की क्षमता को मेमोरी भी कहते हैं और इसके मापने की इकाई Byte (Data) होती है।
VERSATILITY
कम्प्यूटर की विशेषता इसकी उपयोगिता में छिपी है। कम्प्यूटर ही एकमात्र ऐसे यंत्र है। जिसे सभी जगहों पर उपयोग में लाया जा सकता है। अभियांत्रिकी, वैज्ञानिक अनुसंधान, नक्शे बनाने में, बैंको में इत्यादि जगहों में - कम्प्यूटर का इस्तेमाल सफलता से किया जा रहा है।
AUTOMATION
कम्प्यूटर को अगर लगातार काम करने की आज्ञा मिल गई हो तो बिना किसी हस्तक्षेप के खुद-ब-खुद दिए गए आज्ञा के अनुसार कार्य करता रहेगा।
DILIGENCY
चूंकि कम्प्यूटर एक यंत्र है इसमें मानवों या मनुष्यों की तरह थकने की गुंजाइश नहीं होती है । अर्थात यह लगातार उसी तीव्र गति से एवं उसी शुद्धता से काम करता रहता है एवं कभी थकता नही है । एक लाखों गणना भी वह उसी गति से संपन्न करेगा जिस गति से उसने पहला गणना संपन्न किया था
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