Online Word Kaise Count Kare

ऑनलाइन वर्ड कैसे काउंट करे | Online Word Kaise Count Kare

Online Word Counter Tool | आज के इस पोस्ट मे हम हिंदी या इंग्लिस मे लिखे गए शब्दों को काउंट (गिनने) के लिए online word counter tool के बारे में बताने वाले हैं जिसकी मदद से आप online बहुत कम समय मे टाइप (लिखे) गए शब्दों को काउंट किया कर सकते है, इसके लिए आपको Google Play Store या Apple Store से किसी भी तरह का एप download या इंस्टाल करने की भी जरूरत नही है।

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अगर आप ब्लॉग्गर है और अपने ब्लॉग (post) mobile के Notes मे लिखते है तो आपके द्वारा लिखे गए ब्लॉग या पोस्ट मे कितने शब्द है और कौन कौन से शब्द सबसे ज्यादा या कम हैं, तो इन सब समस्यों को Online Word Counter Tool की मदद से हल(solve) किया जा सकता है । 
इसकी मदद से आप Paragraph या ब्लॉग पोस्ट या किसी भी तरह से लिखे (Type) किये गए हिन्दी और इंग्लिस शब्दों को आप Online बिना किसी एप को इंस्टॉल किये चेक कर सकते है ।

तो आईये जानते है की Online Word Counter Tool का उपयोग कैसे करते है, और इसको उपयोग करने के क्या क्या फायदे है

ऑनलाइन वर्ड को काउंट करने के लिए इन चरणों का पालन करे :-

🔹सबसे पहले अपने लिखे हुए पोस्ट को या शब्दों को Note Pad से कॉपी करे.

🔸उसके बाद आप Crome Browser मे जाकर Online word counter Search करे उसके बाद आपको Online Word Counter का वेबसाइट गूगल सर्च मे दिखाई दिखाई देगा, उस पर क्लिक करके वेबसाइट ओपन कर लीजिये

🔹अब आपको वेबसाइट मे एक खाली बॉक्स दिखाई देगा उसमे Note Pad से कॉपी किये गए शब्दों को पेस्ट कर दीजिये

🔸इसके बाद आप जैसे ही नोट पैड से कॉपी किये गए शब्दों को बॉक्स मे पेस्ट करते है, तो बॉक्स के नीचे आपको Total word कितने है, कौन सा वर्ड (शब्द) ज्यादा है और keyword की Density (Percentage मे) क्या है सब दिखाई देंगे।

तो इस प्रकार आप टाइप किये गए शब्दों को Online Word Counter Tool की सहायता से Count कर सकते है ।

ऑनलाइन वर्ड काउंटर टूल के फायदे
प्ले स्टोर या एप्पल स्टोर से अलग से किसी एप को अपने फोन मे इंस्टॉल करने की जरूरत नही होती । इसकी सहायता से आप ऑनलाइन ही वर्ड को काउंट कर सकते है।

Blogger Me Post Ko Hindi Me Kaise Likhe

ब्लॉग्गर मे पोस्ट को हिन्दी मे कैसे लिखे

जो लोग भी हिंदी भाषा में Blogging करते हैं उनके लिए एक समस्या होती है कि Blogger me hindi typing kaise kare ?
क्योंकि जो भी नए Bloggers(Person), हिन्दी में Blogging Start करते हैं उनके लिए Hindi Typing एक बड़ा challenge होता है क्योंकि English में Blogging करने के लिए आपको बहुत tools मिल जायेंगे जो आपके Article का SEO, Grammar Mistakes, Spelling Mistakes आदि का पता लगा लेते हैं पर Hindi Typing में ऐसा नहीं होता।
आप Hindi Article में Grammar Mistakes और Spelling mistakes नहीं Check कर पाते हैं।
आज हम Internet पर मौजूद कुछ Sites के बारे में बताएँगे जो आपको अपने Article की Spelling mistakes और Grammatical Mistakes को पता करने में बहुत अधिक Help करेंगे।
पर अगर आप Hinglish में Post करते हैं तो आपके कोई भी Tool Helpful नहीं हो जायेगी न ही Hindi Typing Tool और न ही Spelling , Grammatical Mistakes tools.
अगर आप Blogger me Hindi Typing करने के लिए परेशान हैैं तो आज हम इस पोस्ट में Hindi Typing से जुड़ी सभी Points पर बात करेंगे।
हम इस Post जानेंगे -
  • Blog या Blogger me Hindi Typing kaise kare
  • Hindi Typing ke 4 best tarike
  • कुछ अन्य Hindi Typing Tools 
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पहला तरीका : अगर बात करें हिन्दी Typing के best tool की तो वो है Google Hindi Input. अगर आप Mobile से blogging करते हैं तो आप के लिए Google Hindi input keyboard सबसे अच्छा रहेगा।
आप इस keyboard को Google Play Store से Install कर सकते हैं।
आप Hinglish में कुछ भी लिखेंगे तो वो हिन्दी में Convert हो जायेगा।
जैसे : अगर आप Keyboard पर ('main Blogging kar rha hun') ये लिखेंगे तो Google Hindi Input Keyboard इसे ('मैं ब्लॉग्गिंग कर रहा हूँ') में Convert कर देता है।
जिस से आप तेज़ी के साथ Typing करते हुए अच्छे से अपनी पोस्ट लिख सकते हैं।

दूसरा तरीका : आप Blogger के Dashboard में Default में दिए गए हिन्दी Typing Tool का Use कर सकते हैं। इसका Use करने के लिए आप को अपने Dashboard के Right side में 'अ' लिखा हुआ दिखाई देगा। जिस पर Click करके आप Hinglish से हिन्दी लिख सकते हैं। ये भी ठीक Google Hindi Input keyboard की ही तरह काम करता है पर इसके कुछ Problems है।
जैसे : इस से Type करने पर बहुत बार दो शब्दों के बीच एक से ज्यादा Space आ जाता है। ये सभी Hinglish Words को हिन्दी में परिवर्तित नहीं कर पाता है।

तीसरा तरीका : आप किसी Third party Website का Use कर सकते है। Internet पर ऐसी बहुत सी Sites उपलब्ध हैं जहाँ से आप Hinglish to हिन्दी लिख सकते हैं।
जैसे : HindiTyping , Writehindi etc.
आप Google में 'Online Hinglish to Hindi' लिख कर search करेंगे तो आप को ऐसी ही बहुत सी sites मिल जाएंगी।

अन्य : अगर आप अपने कंप्यूटर या लैपटॉप से Blogging करते हैं और अपने Keyboard से ही Hinglish to Hindi Typing करना चाहते हैं तो उसके लिए आपको अलग से सॉफ्टवेयर Download करना पड़ेगा। पर वो Software भी Same ऐसे ही काम करता है जैसे Online Tools(Sites) काम करती है।
Spelling mistakes check करने के लिए मैं एक वेबसाइट की मदद लेता हूं। यह काफी हद तक मददगार है। 

👇आप इस Site की मदद ले सकते है।👇

Optical fiber kya hota hai

ऑप्टिकल फाइबर क्या होता हैं | what is optical fiber
आज के इस पोस्ट मे हम optical fiber क्या है और यह कैसे कार्य करता है तथा ऑप्टिकल फाइबर के उपयोग के बारे में बतायेंगे. और आपको हमारा यह पोस्ट अच्छा लगे तो इसे शेयर जरूर करे. Internet पर आपको ऑप्टिकल फाइबर से संबंधित और बहुत से पोस्ट पढ़ने को मिल जायेंगे जिससे आपको optical fiber से संबंधित बहुत सी बातें जानने को मिलेगी.
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ऑप्टिकल फाइबर क्या है?
ऑप्टिकल फाइबर (या केवल फाइबर) कांच या प्लास्टिक से निर्मित एक फाइबर होता है जिसके लम्बाई की दिशा में प्रकाश का संचरण हो सकता है. आजकल इनका संचार में बहुत अधिक प्रयोग हो रहा है क्योंकि इनकी सहायता से अधिक दूरी तक बिना संकेत को परिवर्धित किये लेजाया जा सकता है. ये किसी विद्युतचुम्बकीय इन्टरफेरेन्स से भी बहुत कम प्रभावित होते है.
कार्य करने का सिद्धांत
वस्तुतः ऑप्टिकल फाइबर(optical fiber) एक बेलनाकार डाईएलेक्ट्रिक वेवगाइड है जो प्रकाश को अपनी लम्बाई की दिशा में संचरण कराता है. इस प्रक्रिया में प्रकाश का पूर्ण आन्तरिक परावर्तन होता है.
ऑप्टिकल फाइबर को अंत में जोड़ना
ऑप्टिकल फाइबर(optical fiber) को अन्त में जब किसी उपकरण से जोड़ना होता है तो उसके लिये ऑप्टिकल फाइबर(optical fiber) कनेक्टर का प्रयोग करना पड़ता है.ये कनेक्टर प्रायः FC, SC, ST, LC, या MTRJ आदि मानक प्रकार के होते हैं.
ऑप्टिकल फाइबर(optical fiber) के उपयोग
आजकल दूरसंचार कंपनियों द्वारा सिग्नल को संचारित करने के लिए, इंटरनेट संचार (internet communication) तथा मोबाइल फोन के सिग्नल आदि के लिए ऑप्टिकल फाइबर का प्रयोग किया जाता है. ऑप्टिकल फाइबर(optical fiber) डाइलेक्ट्रिक तरंगों के पथ प्रदर्शक होते है तथा विद्युत चुम्बकीय अवरोध और रेडियो आवृत्ति अवरोधक से युक्त होते है. विधुत संकेत को प्रकाशिय संकेत में बदल कर प्रेषित करने तथा अधिग्रहण करने में भी इसका प्रयोग किया जाता है.

semiconductor kya hai

सेमीकंडक्टर क्या हैं || semiconductor kya hai




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semiconductor kya hai

सेमीकंडक्टर (srmiconductor) क्या हैं? 
प्रकृति में कुछ पदार्थ ऐसे होते हैं जो कि विद्युत के सुचालक होते है, अर्थात बिजली के संपर्क में आने पर उनमें करंट लगता है. और कुछ ऐसे पदार्थ भी होते हैं जो कि विद्युत के कुचलाक होते हैं, ऐसे पदार्थ जब बिजली के संपर्क में आते हैं तो उन पर करंट नहीं लगता है.लेकिन इसके अलावा कुछ ऐसे पदार्थ भी हमारी प्रकृति में मौजूद हैं जिनमें सुचालक और कुचालक दोनों पदार्थ के गुण पाए जाते हैं. ऐसे पदार्थों को ही अर्धचालक (सेमीकंडक्टर) कहते हैं. अर्धचालक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जैसे डायोड, ट्रांजिस्टर, इंटीग्रेटेड सर्किट आदि के निर्माण में काम आते हैं.

Semiconductor के गुण
ताप बढ़ाने पर अर्धचालकों की विद्युत चालकता बढ़ती है, इस कारण ही अर्धचालकों का प्रतिरोध ताप गुणांक ऋणात्मक होता है।
अर्धचालकों में बहुत से अन्य उपयोगी गुण भी देखने को मिलते हैं, जैसे किसी एक दिशा में दूसरे दिशा की अपेक्षा आसानी से धारा का प्रवाह होना अर्थात् भिन्न-भिन्न दिशाओं में विद्युतचालकता का भिन्न-भिन्न होना।
इसके अलावा नियंत्रित मात्रा में अशुद्धियाँ (impurities) डालकर अर्धचालकों की चालकता को कम या अधिक किया जा सकता है।
इन अशुद्धियों को मिलाने की प्रक्रिया को ‘डोपन’ (doping) कहते हैं। डोपिंग करके ही इलेक्ट्रानिक युक्तियों (डायोड, ट्रांजिस्टर आदि) का निर्माण किया जाता है।
इनकी चालकता को बाहर से लगाए गए विद्युत क्षेत्र या प्रकाश के द्वारा भी परिवर्तित किया जा सकता है।

अर्धचालक उपकरणों के लाभ || advantage of semiconductor devices in hindi. 
चूंकि अर्धचालक उपकरणों में कोई फिलामेंट नहीं होता है, इसलिए इलेक्ट्रॉनों के उत्सर्जन के कारण उन्हें गर्म करने के लिए कोई शक्ति की आवश्यकता नहीं होती है.
चूंकि कोई हीटिंग की आवश्यकता नहीं है, सर्किट चालू होने पर अर्धचालक उपकरण तुरंत काम करना शुरू हो जाते हैं.
वैक्यूम ट्यूबों की तुलना में अर्धचालक उपकरणों को कम वोल्टेज ऑपरेशन की आवश्यकता होती है.
वैक्यूम ट्यूबों की तुलना में सेमीकंडक्टर डिवाइस सस्ता हैं। अर्धचालक उपकरणों का लगभग असीमित जीवन है.

अर्धचालक उपकरणों के नुकसान || disadvantages of semiconductor devices in hindi
वैक्यूम ट्यूबों की तुलना में अर्धचालक उपकरणों में शोर का स्तर अधिक है.
साधारण अर्धचालक उपकरण, वैक्यूम ट्यूबों की तुलना में अधिक शक्ति सहन नहीं कर कर सकते हैं.

किसी अर्धचालक का ताप बढ़ने पर उसकी चालकता क्या
होती है?
Answer - अर्धचालक उन पदार्थों को कहतें हैं जिनकी चालकता अचालक पदार्थों से अधिक और चालक पदार्थों से कम होती है। ताप बढ़ने पर अर्धचालक की चालकता बढ़ जाती है क्यूंकि आयनों का प्रवाह बढ़ जाता है।

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माउस कितने प्रकार के होते हैं? | Mouse kitne prakar ke hote hain.

सबसे हम जानते हैं की माउस क्या हैं. और माउस (mouse) कैसे काम करती हैं.

माउस क्या है? | what is mouse?
माउस (Mouse)- माउस किसी भी कंप्यूटर सिस्टम के लिए मुख्य इनपुट डिवाइस है.यह एक ग्राफिकल यूजर इंटरफेस (GUI) प्वाइंटिंग इनपुट डिवाइस है, जिसका प्रयोग कम्प्यूटर में pointer की मदद से, बड़ी ही आसानी से, इनपुट देने के लिए किया जाता है। Pointer का प्रयोग होने के कारण, इसे प्वाइंटिंग डिवाइस भी कहते हैं.

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माउस के प्रकार | mouse ke prakar

माउस कितने प्रकार के होते हैं? | Mouse kitne prakar ke hote hain.
Mechanical mouse
सबसे पहले जिस माउस का इस्तेमाल किया जाता था, वह मैकेनिकल माउस ही होते थे। साल 1972 में बिल इंग्लिश(Bill English) के द्वारा माउस का आविष्कार किया गया था। Mechanical mouse को ball mouse के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इसमें इंस्ट्रक्शंस के लिए बॉल का इस्तेमाल किया जाता था। माउस को हिलाने पर उसमें लगा यह बॉल भी move होता था, जिसकी वजह से माउस के द्वारा कंप्यूटर का courser move होता था और दूसरे instruction दिए जाते थे। Mechanical mouse यानी कि ball mouse का इस्तेमाल पहले के समय में ज्यादा किया जाता था आज के समय में ज्यादा advanced और बेहतर माउस बाजार में उपलब्ध है जिनका इस्तेमाल आज ज्यादा किया जा रहा है।

Optical mouse
एक मैकेनिकल माउस में जिस तरह बॉल का इस्तेमाल होता है, Optical mouse में बॉल के स्थान पर एक LED का इस्तेमाल किया जाता है। कंप्यूटर चलाते वक्त यदि आपने ऐसा माउस देखा हो जिसके नीचे Red LED जल रही हो तो वह एक Optical mouse होगा। एक ऑप्टिकल माउस में Optical electronics का इस्तेमाल किया जाता है जिससे माउस का position और movement track किया जाता है। आज के समय में ऑप्टिकल माउस को ही स्टैंडर्ड मैकेनिकल माउस का दर्जा प्राप्त है। वर्तमान में सबसे ज्यादा इसी तरह के माउस का इस्तेमाल हो रहा है, यह दूसरों की तुलना में ज्यादा रिलायबल होते हैं एवं इन्हें ज्यादा मेंटेन भी नहीं करना होता है। एक ऑप्टिकल माउस का इस्तेमाल करते वक्त अच्छा और समतल सरफेस होना चाहिए।

Trackball mouse
आज के समय में जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी का विकास हो रहा है वैसे वैसे हर डिवाइस के साथ-साथ mouse भी एडवांस होते जा रहे हैं। एक trackball mouse दिखने में काफी हद तक एक आम माउस की तरह ही होता है, जिसमें courser को मूव करने के लिए एक track बॉल का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे कंप्यूटर चलाने वाला अपने अंगूठे की सहायता से ऑपरेट करता है। एक आम कंप्यूटर चलाने वाला इंसान सामान्य तौर पर इस तरह के माउस का इस्तेमाल नहीं करता है। इस माउस का इस्तेमाल करना दूसरों की तुलना में थोड़ा ज्यादा मुश्किल होता है। बाजार में इस तरह के माउस ज्यादा देखने को नहीं मिलते, कुछ स्पेसिफिक कामों के लिए इस तरह के माउस का इस्तेमाल प्रोफेशनल लोगों द्वारा किया जाता है।

Stylus mouse
जिस प्रकार कुछ महंगे और flagship smartphone ( samsung note 10 ,Samsung galaxy S6, IPad ) में आपको एक स्टाइलस दिया जाता है उसी प्रकार स्टाइलस के आकार का माउस भी होता है। असल में यह एक माउस का होकर किसी पेन की तरह एक stylus pen होता है। एक नॉर्मल माउस में जितने भी जरूरी बटन होते हैं, वे सभी इसमें पाए जाते हैं। Stylus mouse जो होते हैं वे wireless तरीके से काम करते हैं। आज के समय में टच स्क्रीन वाले जो कुछ कंप्यूटर और लैपटॉप आते हैं उनमें इस प्रकार के माउस का इस्तेमाल किया जाता है। वर्तमान में इनका प्रचलन भी काफी है।

Wired mouse
नाम से ही पता चल रहा है की इन्हें कंप्यूटर के साथ directly एक वायर के द्वारा कनेक्ट किया जाता है। इन्हें corded mouse भी कहा जाता है। USB Cabels इत्यादि से ये कंप्यूटर से connect होते हैं, यह उस वायर से ही पावर लेते हैं इसलिए इनमे बैटरी इत्यादि की आवश्यकता नहीं होती है। क्योंकि यह wire (USB cabel) के द्वारा connect होते हैं इसीलिए ये ज्यादा accurate भी होते हैं। वायर सही रहने पर इनमें कनेक्शन इत्यादि की कोई दिक्कत नहीं आती है। Mechanical mouse या optical mouse wired mouse हो सकते हैं।

Wireless mouse
इसमें भी नाम से पता चल रहा है कि जिस माउस में वायर का इस्तेमाल नहीं किया जाता है वह wireless mouse है। इस माउस के साथ कोई भी cable attach नहीं होती है, इसमें डाटा ट्रांसफर और कंप्यूटर से कनेक्ट होने के लिए wireless technology का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें बिना wire के साथ सिर्फ एक माउस होता है और साथ में एक reciever दिया जाता है जिसे आप को कंप्यूटर में लगाना होता है। इसमें wires इत्यादि की कोई भी दिक्कत नहीं होती है। क्योंकि इसमें wire नहीं होते हैं इसीलिए यह कंप्यूटर से पावर नहीं ले सकते हैं, जिसके लिए इनमें खुद की बैटरी होती है जिनसे यह थोड़े भारी भी होते हैं एवं साथ ही इन्हे चार्ज करने की जरूरत भी पड़ती है।


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माउस क्या है? | what is mouse?
माउस क्या है? | what is mouse?
माउस (Mouse)- माउस किसी भी कंप्यूटर सिस्टम के लिए मुख्य इनपुट डिवाइस है.यह एक ग्राफिकल यूजर इंटरफेस (GUI) प्वाइंटिंग इनपुट डिवाइस है, जिसका प्रयोग कम्प्यूटर में pointer की मदद से, बड़ी ही आसानी से, इनपुट देने के लिए किया जाता है। Pointer का प्रयोग होने के कारण, इसे प्वाइंटिंग डिवाइस भी कहते हैं.
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माउस क्या है | computer mouse


माउस के उपयोग | mouse ke upyog
माउस एक इनपुट डिवाइस है, जिसका वास्तविक नाम Pointing Device है. इसका उपयोग मुख्यत: कम्प्यूटर स्क्रीन पर Items को चुनने, उनकी तरफ जाने तथा उन्हे खोलने एवं बदं करने में किया जाता है. माउस के द्वाराा यूजर कम्प्यूटर को निर्देश देता है. इसके द्वारा यूजर कम्प्यूटर स्क्रीन पर कहीं भी पहुँच सकता है.
माउस mouse के द्वारा यूजर कंप्यूटर को निर्देश देता है. इसके द्वारा यूजर कंप्यूटर स्क्रीन पर कहीं भी पहुंच सकता है. आपको बता दें कि कंप्यूटर माउस mouse आमतौर पर एक चूहे की तरह दिखता है इसलिए इसको लोग माउस mouse कहते हैं क्योंकि यह छोटा तथा आयताकार होता है, जो एक तार के द्वारा कंप्यूटर से जुड़ा होता है.

इन्हे भी पढ़िये
माउस पैड | mouse pad
माउस को चलाते समय कभी-कभी माउस के नीचे कुछ नहीं होने के कारण माउस अच्छा से काम नहीं करता है. इसलिए माउस के नीचे एक पैड रखा जाता है जिस पर माउस रखकर के काम करने पर आसानी से माउस चारों तरफ मुव करता है और सही तरीके से काम करता है.

मैक एड्रेस क्या हैं

मैक एड्रेस क्या होता हैं

Mac address लैपटॉप और मोबाइल का एक बहुत जरूरी हिस्सा है। आइए आज हम जानते हैं कि मैक एड्रेस क्या होता है और कहां पाया जाता है?
mac adress मुख्य रूप से डिवाइस बनाने वालों के द्वारा Specified किए जाते हैं, इसलिए उन्हें अक्सर बर्न-इन एड्रेस या ईथरनेट हार्डवेयर एड्रेस , हार्डवेयर एड्रेस या फिजिकल एड्रेस के रूप में Refers किया जाता है.

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मैक एड्रेस क्या होता हैं?

What is mac adress. 

मैक एड्रेस एक तरह का आईडेंटिफिकेशन नंबर होता है। इसे हार्डवेयर एड्रेस भी कहा जाता है। जितनी भी नेटवर्किंग डिवाइस होती हैं, उन सबका मैक एड्रेस अलग-अलग होता है।
मैक एड्रेस 12 अंकों का आईडेंटिफिकेशन नंबर होता है, जो हर नेटवर्किंग डिवाइस को प्रदान किया जाता है। मैक एड्रेस के द्वारा कोई भी डिवाइस किसी नेटवर्क के संपर्क में आती है तो उसे उसी समय ट्रैक कर लिया जाता है।

मैक एड्रेस का फूल फॉर्म

Mac address का फुल फॉर्म है media access control address| इस एड्रेस को आमतौर पर 3 फॉर्मेट में लिखा जाता है।
अगर आपका मोबाइल या लैपटॉप कहीं खो जाता है,तो मैक एड्रेस की सहायता से आप अपने लैपटॉप के नेटवर्क को ट्रैक करके लोकेशन का पता लगा सकते हैं।

मैक एड्रेस कैसे ढूंढे

अपने Device मे Mac Adress कैसे ढूंढे? 

Laptop/Computer मे

  • Start पर क्लिक करे.
  • Search Box मे cmd टाइप करे.
  • Enter दबाए एक कमांड विंडो खुलकर आयेगी.
  • ipconfig/all Type करे और एंटर दबाए. एक फिजिकल एड्रेस आपको दिखेगा. इसी फिजिकल एड्रेस को कहते हैं mac adress

Android मे

  • Setting मे जाए
  • About मे जाकर स्टेटस पर क्लिक करें.
  • आपको wi-fi दिखेगा यह आपका mac एड्रेस हैं.

iOS मे

  • Setting मे जाए
  • जनरल मे जाएँ और Abou पर क्लिक करें.
  • आपको wi-fi एड्रेस दिखेगा वही आपका mac adress हैं.