VPN kya hai

VPN क्या हैं?

अगर आप Internet use करते हैं तो आपने VPN का नाम Internet पर कही ना कही जरूर सुना होगा. क्युकी आजकल लोग अपनी identity (अपनी पहचान) को छुपाने के लिए इसका उपयोग कुछ ज्यादा ही कर रहे हैं, इसलिए VPN आजकल बहुत ट्रेंड मे हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं की यह VPN होता क्या हैं, और काम कैसे करता है. अगर नही जानते तो यँहा पोस्ट आपके लिए ही हैं. आईये जानते है की VPN Kya hota hai और यह कैसे काम करता हैं.
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VPN (वी पी एन) 

पिछले दो-तीन सालों मे Internet का उपयोग काफी तेजी से बढ़ा हैं. सभी व्यवसाय online हो गई है. ऐसे मे चोर लुटेरे क्यों पीछे रहेंगे वो भी Internet पर आ गए हैं. और online ठगी को अपना नया व्यवसाय बना लिया हैं. आजकल online privacy एक बड़ी समस्या बन गई हैं. इस समस्या को दूर करने के लिए एक उपाय खोजी गई हैं जिनमे एक तरीका VPN हैं. तो आईये जानते हैं की VPN Kya hota hai. 

VPN क्या होता हैं

VPN का पूरा नाम virtual private network हैं. यह एक ऐसी network technology हैं जो असुरक्षित network को सुरक्षित network मे change (बदलने) का काम करती हैं. इसके साथ ही यह VPN user (उपयोगकर्ता) की पहचान (identity) व location जैसी चीजों को Hide (छुपाने) का काम करती हैं. अर्थात् सरल शब्दों मे कहे तो VPN आपकी पहचान को छुपाने मे मदद करते हैं या आपकी गोपनीयता को बनाये रखती हैं. और आपके डाटा ( किसी भी प्रकार की गोपनीय जानकारी) को hack या लीक होने से बचाती हैं.
                                                       VPN यानी वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क। यह एक ऐसा टूल है, जो आपको प्राइवेट नेटवर्क बनाने में मदद करता है। भले ही आप जियो, एयरटेल, BSNL की ब्रॉडबैंड का इस्तेमाल कर रहे हों, VPN आपको अपना प्राइवेट नेटवर्क बनाने की इजाजत देता है। प्राइवेट नेटवर्क का मतलब है कि आप सीमित लोगों से या अपने होम नेटवर्क कनेक्शन से जुड़े रहते हैं।
                                        VPN का प्रमुख काम है नेटवर्क ट्रैफिक को एन्क्रिप्ट करना। यानी आपके आईपी (IP या इंटरनेट प्रोटोकॉल) एड्रेस और लोकेशन को छिपाना। अगर आप किसी ब्रॉडबैंड कंपनी के नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहे हैं तो उस इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर (ISP) को सब पता होता है कि आप क्या वेबसाइट्स देख रहे हैं? आप क्या डाउनलोड कर रहे हैं? इतना ही नहीं, आपकी ऑनलाइन हिस्ट्री भी उसके पास होती है। इसकी मदद से ही वह आपकी ऑनलाइन एक्टिविटी के दौरान आपको विज्ञापन भी दिखाता है।
                        आसान शब्दों में इंटरनेट एक समुद्र की तरह है और VPN उसमें एक पाइप की तरह। इंटरनेट के समुद्र में कई हैकर मौजूद हैं, जो डेटा चुराने की ताक पर रहते हैं। वर्चुअल नेटवर्क चुनिंदा कंप्यूटरों को ही आपस में जोड़ता है।

VPN कैसे काम करता है? 

जब आप अपने browser मे किसी वेबसाइट का URL डालकर search करते हैं. तो सबसे पहले आपकी request आपके ISP यानी की Internet service provider के पास जाती हैं . जहाँ आपकी online identity, device id, location, और डाटा  का exchange ( आदान-प्रदान)  होता हैं. ये सब ISP के जरिये ही होता हैं. जिससे आपकी कोई भी डाटा ( जानकारी ) गोपनीय नही रहती.
इसके साथ साथ आपका network भी पुरी तरह secure नही रहता है. जिससे हर समय डाटा चोरी होने का खतरा रहता है. साथ ही restricyion भी बड़ी समस्या हैं जो आपको blocked वेबसाइट को access करने से रोकते हैं. कुल मिलकर आपको freedom, privacy, और security जैसी समस्यायों से जूझना पड़ता है.
लेकिन VPN इन सभी समस्यायों का समाधान हैं. क्युकी VPN की कार्यप्रणाली बिल्कुल अलग हैं. आईये इसे समझने की कोसिस करते हैं.

VPN की कार्यप्रणाली

मान लीजिये की आप अपने smartphone या computer के Browser se मेरी यह वेबसाइट ओपन करना चाहते हैं. तो जैसे ही आप bharattechsupport.blogspot.com type करके search करेंगे. तो आपकी request सीधे VPN server के पास जायेगी और आपके फोन से request के रूप मे जो डाटा traffic जायेगा, वह पूरी तरह encrypted होगा. और एक secure tunnel के जरिये भेजा जायेगा. साथ ही साथ आपकी online indentity ( पहचान) बिल्कुल गुप्त रहेगी. क्युकी डाटा traffic आपके smartphone की बजाय VPN server से भेजा जायेगा. लेकिन जैसे ही आपका डाटा VPN server के पास जायेगा वह decrypt  हो जायेगा. इसके बाद VPN server आपकी request को bharattechsupport.blogspot.com के server पर भेजेगा और वह से जवाब प्राप्त करके उसे वापिस encrypte कर देगा. और अपने सुरक्षित connection के जरिये आपके फोन पर सारा requested डाटा भेज देगा.
अब आपके फोन में जो VPN software हैं वह उस डाटा (जानकारी) को decrypt कर देगा. ताकि आप उसे पढ़ सके. इस तरह VPN के उपयोग से आपके ISP को कभी पता नही चलेगा की आपने किस वेबसाइट पर visit किया और वहाँ क्या क्या activities की.
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VPN प्रोटोकॉल क्या है? 

VPN protocol VPN client और VPN server के मध्य संबंध ( connection) स्थापित करने के लिए उपयोग किया जाता हैं. ताकि VPN client और VPN server के मध्य सुरक्षित रूप से डाटा का exchange ( आदान-प्रदान) हो सके. अभी के समय में VPN सेवा देने वालों के द्वारा इन VPN protocol का उपयोग (use) किया जा रहा हैं. PPTP, SSTP, L2TP/IPec, IKEv2/IPSec, IPSec, OpenVPN, SoftEther, और Wirguard. 

VPN कैसे use करे? 

VPN का उपयोग करना बहुत ही आसान हैं. सबसे पहले एक बढ़िया VPN service provider का चुनाव कीजिये. इसके बाद उस VPN service provider के वेबसाइट पर जाकर अपने system (device) के हिसाब से VPN software download कर लीजिये.
अगर आप मोबाईल (mobile) user हैं हैं तो आप play store मे जाके VPN का एप download कर सकते हैं. इसके बाद अपना VPN account बनाइये और login हो जाईये. इसके बाद आप VPN का उपयोग कर सकते हैं. 
इसके बाद आप अपना पसंद का location और VPN server select कीजिये और connect हो जाईये.

VPN का महत्व क्यों बढ़ गया है? 

आज की स्थिति में VPN का महत्व क्यों बढ़ गया है?
आज ज्यादातर कंपनियां अपने कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम की सुविधा दे रही हैं। ऐसे में वे असुरक्षित नेटवर्क पर रहकर काम नहीं कर सकते। अगर वे ऐसा करते हैं तो कंपनी के प्रतिस्पर्धी थर्ड पार्टी टूल्स का इस्तेमाल कर गोपनीय जानकारी हासिल कर सकते हैं।
इंटरनेट पर कई नेटवर्क ट्रैकिंग टूल्स उपलब्ध हैं, जिनका इस्तेमाल कर आपकी ऑनलाइन एक्टिविटी पर नजर रखी जा सकती है। स्पायवेयर, मालवेयर के जरिए आपकी प्राइवेसी में सेंध लगाई जा सकती है। साथ ही धोखाधड़ी भी हो सकती है। VPNs इससे बचाते हैं।
इसे देखते हुए ज्यादातर कंपनियां VPN सर्विसेस का इस्तेमाल कर रही हैं, ताकि कर्मचारियों का डेटा सुरक्षित रहे। एडमिन पासवर्ड्स समेत कई जानकारियां शामिल हैं। इस तरह VPN किसी भी कॉर्पोरेट की साइबर सिक्योरिटी में फ्रंटलाइन डिफेंस के तौर पर काम करते हैं।
अगर आप VPN का इस्तेमाल कर रहे हैं तो ऐसा नहीं है कि सुरक्षा सिर्फ ऑफिस का काम करने में मिलेगी। VPNs आपके ऑनलाइन बैंकिंग, सोशल मीडिया, ईमेल आदि के पासवर्ड्स सेफ रखते हैं।

VPN ब्लॉक हुए तो आप पर क्या असर पड़ेगा? 

अगर भारत में VPN ब्लॉक हुए तो आप पर क्या असर पड़ेगा?
VPNs पर प्रतिबंध लगाने से कई कंपनियों की वर्क फ्रॉम होम या रिमोट वर्किंग की योजना खतरे में पड़ जाएगी। ज्यादातर कंपनियां चाहेंगी कि आप सिक्योर इंटरनेट कनेक्शन का ही इस्तेमाल करें, जो आपको ऑफिस में उपलब्ध रहता है।
आपका इंटरनेट कनेक्शन थर्ड पार्टी साइबर हमलों का शिकार हो सकता है। मालवेयर आपके पासवर्ड चुरा सकते हैं। आप उस कंटेंट को भारत में नहीं देख सकेंगे, जो यहां प्रतिबंधित है। इसी तरह आप ऑनलाइन प्राइवेसी का एक महत्वपूर्ण टूल खो देंगे।

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