mouse kitne prakar ke hote hai

माउस कितने प्रकार के होते हैं? | Mouse kitne prakar ke hote hain.

सबसे हम जानते हैं की माउस क्या हैं. और माउस (mouse) कैसे काम करती हैं.

माउस क्या है? | what is mouse?
माउस (Mouse)- माउस किसी भी कंप्यूटर सिस्टम के लिए मुख्य इनपुट डिवाइस है.यह एक ग्राफिकल यूजर इंटरफेस (GUI) प्वाइंटिंग इनपुट डिवाइस है, जिसका प्रयोग कम्प्यूटर में pointer की मदद से, बड़ी ही आसानी से, इनपुट देने के लिए किया जाता है। Pointer का प्रयोग होने के कारण, इसे प्वाइंटिंग डिवाइस भी कहते हैं.

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माउस के प्रकार | mouse ke prakar

माउस कितने प्रकार के होते हैं? | Mouse kitne prakar ke hote hain.
Mechanical mouse
सबसे पहले जिस माउस का इस्तेमाल किया जाता था, वह मैकेनिकल माउस ही होते थे। साल 1972 में बिल इंग्लिश(Bill English) के द्वारा माउस का आविष्कार किया गया था। Mechanical mouse को ball mouse के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इसमें इंस्ट्रक्शंस के लिए बॉल का इस्तेमाल किया जाता था। माउस को हिलाने पर उसमें लगा यह बॉल भी move होता था, जिसकी वजह से माउस के द्वारा कंप्यूटर का courser move होता था और दूसरे instruction दिए जाते थे। Mechanical mouse यानी कि ball mouse का इस्तेमाल पहले के समय में ज्यादा किया जाता था आज के समय में ज्यादा advanced और बेहतर माउस बाजार में उपलब्ध है जिनका इस्तेमाल आज ज्यादा किया जा रहा है।

Optical mouse
एक मैकेनिकल माउस में जिस तरह बॉल का इस्तेमाल होता है, Optical mouse में बॉल के स्थान पर एक LED का इस्तेमाल किया जाता है। कंप्यूटर चलाते वक्त यदि आपने ऐसा माउस देखा हो जिसके नीचे Red LED जल रही हो तो वह एक Optical mouse होगा। एक ऑप्टिकल माउस में Optical electronics का इस्तेमाल किया जाता है जिससे माउस का position और movement track किया जाता है। आज के समय में ऑप्टिकल माउस को ही स्टैंडर्ड मैकेनिकल माउस का दर्जा प्राप्त है। वर्तमान में सबसे ज्यादा इसी तरह के माउस का इस्तेमाल हो रहा है, यह दूसरों की तुलना में ज्यादा रिलायबल होते हैं एवं इन्हें ज्यादा मेंटेन भी नहीं करना होता है। एक ऑप्टिकल माउस का इस्तेमाल करते वक्त अच्छा और समतल सरफेस होना चाहिए।

Trackball mouse
आज के समय में जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी का विकास हो रहा है वैसे वैसे हर डिवाइस के साथ-साथ mouse भी एडवांस होते जा रहे हैं। एक trackball mouse दिखने में काफी हद तक एक आम माउस की तरह ही होता है, जिसमें courser को मूव करने के लिए एक track बॉल का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे कंप्यूटर चलाने वाला अपने अंगूठे की सहायता से ऑपरेट करता है। एक आम कंप्यूटर चलाने वाला इंसान सामान्य तौर पर इस तरह के माउस का इस्तेमाल नहीं करता है। इस माउस का इस्तेमाल करना दूसरों की तुलना में थोड़ा ज्यादा मुश्किल होता है। बाजार में इस तरह के माउस ज्यादा देखने को नहीं मिलते, कुछ स्पेसिफिक कामों के लिए इस तरह के माउस का इस्तेमाल प्रोफेशनल लोगों द्वारा किया जाता है।

Stylus mouse
जिस प्रकार कुछ महंगे और flagship smartphone ( samsung note 10 ,Samsung galaxy S6, IPad ) में आपको एक स्टाइलस दिया जाता है उसी प्रकार स्टाइलस के आकार का माउस भी होता है। असल में यह एक माउस का होकर किसी पेन की तरह एक stylus pen होता है। एक नॉर्मल माउस में जितने भी जरूरी बटन होते हैं, वे सभी इसमें पाए जाते हैं। Stylus mouse जो होते हैं वे wireless तरीके से काम करते हैं। आज के समय में टच स्क्रीन वाले जो कुछ कंप्यूटर और लैपटॉप आते हैं उनमें इस प्रकार के माउस का इस्तेमाल किया जाता है। वर्तमान में इनका प्रचलन भी काफी है।

Wired mouse
नाम से ही पता चल रहा है की इन्हें कंप्यूटर के साथ directly एक वायर के द्वारा कनेक्ट किया जाता है। इन्हें corded mouse भी कहा जाता है। USB Cabels इत्यादि से ये कंप्यूटर से connect होते हैं, यह उस वायर से ही पावर लेते हैं इसलिए इनमे बैटरी इत्यादि की आवश्यकता नहीं होती है। क्योंकि यह wire (USB cabel) के द्वारा connect होते हैं इसीलिए ये ज्यादा accurate भी होते हैं। वायर सही रहने पर इनमें कनेक्शन इत्यादि की कोई दिक्कत नहीं आती है। Mechanical mouse या optical mouse wired mouse हो सकते हैं।

Wireless mouse
इसमें भी नाम से पता चल रहा है कि जिस माउस में वायर का इस्तेमाल नहीं किया जाता है वह wireless mouse है। इस माउस के साथ कोई भी cable attach नहीं होती है, इसमें डाटा ट्रांसफर और कंप्यूटर से कनेक्ट होने के लिए wireless technology का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें बिना wire के साथ सिर्फ एक माउस होता है और साथ में एक reciever दिया जाता है जिसे आप को कंप्यूटर में लगाना होता है। इसमें wires इत्यादि की कोई भी दिक्कत नहीं होती है। क्योंकि इसमें wire नहीं होते हैं इसीलिए यह कंप्यूटर से पावर नहीं ले सकते हैं, जिसके लिए इनमें खुद की बैटरी होती है जिनसे यह थोड़े भारी भी होते हैं एवं साथ ही इन्हे चार्ज करने की जरूरत भी पड़ती है।


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