Sindhu Netra Satelite

DRDO Launch

Sindhu Netra Satelite

हाल ही में DRDO के 'सिंधु नेत्र सर्विलांस Satelite को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। आइए जानें इस Satelite के बारे में विस्तार से-

Summary -

सिंधु नेत्रा उपग्रह डीआरडीओ के युवा वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किया गया है और आईओआर में सक्रिय युद्धपोतों और व्यापारिक जहाजों की स्वचालित रूप से पहचान करने में सक्षम है। उपग्रह ने भी ग्राउंड सिस्टम के साथ संचार करना शुरू कर दिया है ..

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Sindhu Netra Satelite

इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO)ने 28 फरवरी 2021 को हिंद महासागर एरिया में सैन्य और मर्चेट नेवी के जहाजों की एक्टिविटी पर नजर रखने के लिए डीआरडीओ (DRDO) द्वारा विकसित एक उपग्रह 'सिंधु नेत्र' लॉन्च किया। इस Satelite के स्थापित होने से हिंद महासागर क्षेत्र में सैन्य युद्धपोत और मर्चेट शिपिंग दोनों की गतिविधियों की निगरानी के साथ ही देश की सुरक्षा निगरानी क्षमताओं को मदद मिलेगी।

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Sindhu Netra Satelite

Satelite को इसरो के पीएसएलवी (ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान)-सी 51 (PSLV C51) का उपयोग करके लॉन्च किया गया है।

हिमालय से समुद्र तक रहेगी 'सिंधु नेत्र' की नजर, चीन-PAK की हर चाल होगी बेअसर

DRDO का Sindhu Netra Satelite भारतीय समुद्री क्षेत्र में आने वाले हर तरह के मालवाहक, युद्धपोत, व्यापारिक जहाजों को अपने आप पहचान लेगा ।

Sindhu Netra Satelite  को लेकर DRDO  ने कहा कि फिलहाल तो इससे भारतीय समुद्री क्षेत्र की निगरानी की जाएगी, लेकिन जरूरत पड़े तो इसे हम दक्षिण चीन सागर, एडेन की खाड़ी और अफ्रीकी तटों तक की भी निगरानी कर सकते हैं।

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Sindhu Netra Satelite

28 फरवरी 2021 को इसरो ने PSLV-C51 Rocket🚀 से ब्राज़ील के Amazonia-1 सैटेलाइट के साथ 18 अन्य Satelites भी अंतरिक्ष में भेजे हैं. इस लॉन्च की सबसे बड़ी यह है  खासियत यह है कि इस साल की ये पहली सफल लॉन्चिंग है। लॉन्च पैड एक से ये 39वीं सफल लॉन्चिंग है। स्पेस सेंटर से 78वीं लॉन्चिंग है. ये PSLV Rocket  की 53वीं सफल उड़ान है। ISRO ने इस लॉन्चिंग के साथ अब तक 34 देशों के 342 सैटेलाइट्स अंतरिक्ष में स्थापित किया है।

Amazonia-1 Satelite ब्राजील का पहला ऑप्टिकल अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट है. ये Amazon के जंगलों में कम हो रहे पेड़ों और अन्य बदलावों को मॉनिटर करेगा ।Amazonia-1  Satelite PSLV-C51Rocket🚀 का मुख्य उपग्रह है ।

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ISRO - India

PSLV-C51Rocket🚀 में 18 अन्य Satelites भी लॉन्च किए गए हैं ।जिनमें से चार सैटेलाइट IN-SPACe हैं।इनमें से तीन  UNITYsats  तीन शैक्षणिक संस्थानों के सैटेलाइट है।

चौथी Satelite का नाम है सतीश धवन Satelite (SD SAT)इसके अलावा 14 Satelite NSILके हैं. NSIL का यह पहला कॉमर्शियल लॉन्च है. _

पी.एस.एल.वी.-सी51 के ऑनबोर्ड ले जाए गए 18 सह-यात्री उपग्रहों में 4 इन-स्‍पेस से तथा 14 एनसिल से शामिल हैं। इन-स्‍पेस के 4 उपग्रहों में से तीन को युनिटीसैट ने डिजाइन किया तथा उन्‍हें जेप्पियार प्रौद्योगिकी संस्‍थान, श्रीपेरुमबुदूर, जी.एच. रायसोनी अभियांत्रिकी महाविद्यालय, नागपुर तथा श्री शक्ति अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्‍थान, कोयम्‍बटूर के द्वारा संयुक्‍त रूप से विकसित किया गया तथा शेष एक सतीश धवन सैट (एस.डी.सैट) स्‍पेस किड्ज इंडिया द्वारा तैयार किया गया। एनसिल द्वारा भेजे गए चौदह उपग्रह वाणिज्यिक उपग्रह थे, जिनमें भारत से (1) एवं यू.एस.ए. से (13) उपग्रह हैं।

पी.एस.एल.वी.-51, पी.एस.एल.वी. की 53वीं उड़ान तथा ‘डी.एल.’ संरूपण (2 स्‍ट्रैप-ऑन मोटरों क साथ) में पी.एस.एल.वी. की तीसरी उड़ान है। यह एस.डी.एस.सी. शार, श्रीहरिकोटा से 78वां प्रमोचक रॉकेट मिशन था।

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भगवत गीता को भी अंतरिक्ष में भेजा

सतीश धवन सैट के अग्रिम हिस्से पर पीएम मोदी की तस्वीर उकेरी गई है और इससे डिजिटल भगवत गीता को भी अंतरिक्ष में भेजा गया है। स्पेस किड्ज इंडिया ने कहा, सैटेलाइट में सिक्योर्ड डिजिटल कार्ड फॉर्मेट में भगवत गीता को रखा गया है। पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान और अंतरिक्ष क्षेत्र के निजीकरण के प्रति एकजुटता और सम्मान दर्शाने के लिए इसके ऊपरी हिस्से पर उनकी तस्वीर बनाई गई है।

महत्वपूर्ण बिन्दु :-

मानव के 50 वर्षों के अंतरिक्ष इतिहास में पृथ्वी की कक्षा के चारों तरफ घूमने वाली कचरे की एक खतरनाक पट्टी बन गई है।

वर्तमान में ISRO के भूस्थैतिक कक्षा (36,000 किमी.) में 15 कार्यात्मक भारतीय संचार उपग्रह हैं; निम्न भू कक्षा (2,000 किमी.) में 13 रिमोट सेंसिंग उपग्रह तथा पृथ्वी की मध्यम कक्षा में आठ नेविगेशन उपग्रह स्थापित हैं। अंतरिक्ष में लगभग 17,000 मानव निर्मित वस्तुएँ मॉनीटर की जाती हैं जिनमें से 7% वस्तुएँ क्रियाशील हैं।

                                एक समयावधि के बाद ये वस्तुएँ अक्रियाशील हो जाती हैं और अंतरिक्ष में घूर्णन करने के दौरान एक-दूसरे से टकराती रहती हैं। प्रत्येक वर्ष इन वस्तुओं के टकराने से लगभग 250 विस्फोट होते हैं जिसके फलस्वरूप मलबों (Debris) के छोटे-छोटे टुकड़े अत्यंत तीव्र गति से घूर्णन करते रहते हैं।

अंतरिक्ष में उपस्थित निष्क्रिय उपग्रहों और रॉकेट के मलबे पृथ्वी की कक्षा में कई वर्षों तक विद्यमान रहते हैं और ये मलबे किसी सक्रिय उपग्रहों को क्षति पहुँचा सकते हैं।

लगभग 400 करोड़ रुपए की लागत वाली यह परियोजना, अन्य अंतरिक्ष शक्तियों वाले देशों की तरह भारत की अंतरिक्ष स्थितिजन्य जागरूकता (Space Situational Awareness) क्षमता को बढ़ाएगी।

 इसका उपयोग मलबे से भारतीय उपग्रहों को होने वाले खतरों का अनुमान लगाने के साथ-साथ देश को मिसाइल या अंतरिक्ष हमले के खिलाफ एक चेतावनी देने के रूप में भी किया जा सकेगा।

इसकी स्थापना पहले पृथ्वी की निचली कक्षा (Low Earth Orbit) में की जाएगी जिसमें रिमोट सेंसिंग स्पेसक्राफ्ट (Remote Sensing Spacecraft) भी शामिल होगा

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